कुछ वर्षों पहले, जब मैंने ज्योतिषविद्या के बारे में सुना, मेरे मन में इसके बारे में अधिक जानने की इच्छा हुई। मैं ज्योतिष से सम्बंधित जितनी भी वेबसाइट मिलती थी, उन्हें खोजकर, अपना भविष्य देखा करती थी। लेकिन जितना अधिक मैं समझने की कोशिश करती, उतना ही उलझन में पड़ती जाती थी।
वैदिक ज्योतिष पर बनायी गयी अधिकतर विश्व प्रसिद्ध वेबसाइटस के अनुसार मेरा ‘सन साइन’ अर्थात सूर्य-राशि ‘कर्क’ है। जबकि अगस्त मास में जन्म लेने की वजह से मैं हमेशा अपने आप को सिंह सूर्य-राशि का मानती थी। मैं ये मानना ही नहीं चाहती थी की मेरी सूर्य-राशि सिंह ना होकर कर्क है। आखिरकार, सिंह राशि अत्यन्त शाही और राजसी प्रतीत होती है।
परन्तु अत्यधिक शोध एवं अनेक ज्योतिषियों से परामर्श लेने के बाद, जो पता चला वह अत्यन्त ही दिलचस्प एवं आश्चर्यजनक था। यह जानकार आश्चर्य हुआ की हमने कभी भी समाचारपत्र या टेलीविजन या इंटरनेट पर अपना भविष्य देखने से पहले कभी यह जानने की कोशिश नहीं करी कि वे भविष्य देखने के लिए कौनसी विधि का उपयोग कर रहे है।
क्या आप जानते हैं की विश्वभर में भविष्य देखने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रणालियों एवं पद्धतियों का उपयोग होता है? इस बात से अनभिज्ञ होकर और गहराई से कुछ ना जानकार, हम बस अपना भविष्यफल देखने या पढ़ने लग जाते हैं।
विश्व भर में प्रचलित पद्धतियों में से २ प्रमुख हैं – वैदिक ज्योतिष एवं वेस्टर्न (पश्चिमी) ज्योतिष।
समाचारपत्र या टेलीविजन या इंटरनेट पर प्रचलित भविष्फल, वेस्टर्न (पश्चिमी) पद्धति पर आधारति होते हैं। जबकि भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही वैदिक ज्योतिष का उपयोग होता आ रहा है, जिसका अनुसरण भारतीय वैदिक ज्योतिषी करते हैं।
वेस्टर्न (पश्चिमी) पद्धति अंतरिक्ष की उस विशेष स्थिति को मानता है, जब सूर्य धरती की भूमध्य रेखा को पार करता है। जबकि वैदिक ज्योतिष नक्षत्रों पर आधारित है। और पद्धति में ये ही अंतर आपके भविष्य की गणना में एक बहुत बड़ा प्रभाव डालती है।
इन दोनों में एक और बहुत बड़ा अंतर है – इनके दायरे का। वेस्टर्न (पश्चिमी) पद्धति में एक व्यक्ति की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रकृति पर अधिक ध्यान दिया जाता है, और अधिकतर इसके अनुसार की गयी भविष्य में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी विश्वसनीय नहीं होती। वहीँ दूसरी ओर वैदिक ज्योतिष ये दोनों ही कार्य आराम से, बिना किसी दोष के कर लेती है।
तो ये अत्यन्त आवश्यक है की अपना भविष्य कहीं भी देखने से पहले, ये जांच ले की कौनसी प्रणाली या पद्धति का अनुसरण किया जा रहा है।
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