यदि आप अत्यंत दुखी व चिंतित हैं क्योंकि आपको किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही है तो विघ्नहरता श्री गणेशा का स्मरण करें।
हिंदू धार्मिक पुराणों में भी प्रथम पूजनीय व विघ्नहरता श्री गणेश की कृपा के महत्व के बारे में बताया गया है। नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र लिखा गया है, जिसे पढ़कर आप अपने जीवन के हर संकट को दूर कर सकते हैं।
इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन स्नान करने के बाद, शुद्ध मन से, कम से कम एक बार तो अवश्य करें। श्रद्धापूर्वक यह पाठ आपके मन को शांत करेगा, और यदि आप अपने कर्मों व विचारों को भी पवित्र रखेंगे और किसी को कष्ट नहीं पहुचायेंगे तो आपको मनचाहा फल समय से पहले अवश्य मिलेगा।
जानियें कैसे काले जादू व बुरी नज़र से बचें। करें अपनी व अपने प्रियजनों की रक्षा।
इस संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके आप पायेंगे अपने जीवन में सुख-समृद्धि :
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥१॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्
तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥२॥
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाषष्टम ॥३॥
नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥४॥
द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्दीकर प्रभो ॥५॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम ॥६॥
जपेद्गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासे फलं लभेत्
संवत्सरेण सिध्दीं च लभते नात्र संशय: ॥७॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥८॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥